सोमवार, 30 नवंबर 2015

कहाँ खो गई मेरी माँ

उन दिनों की बात है जब पास थी तुम मेरी माँ,
दुख दर्द का भी न था अहसास,
सिर्फ खुशियाँ थी मेरे पास,
सभी थे अपने,था प्यार सभी का मेरे पास,
जब तुम चली गई, जैसे लगा टूट पङा हो पहाङ,
आँखो से आँसू न थम पाए,
फिर अपने भी लगने लगे पराए,
देख दूसरों की माँ को लगा कहाँ खो गई मेरी माँ !!…….
नन्हे-नन्हे हाथों से करता रहता हूँ मै काम,
एक रोटी का टुकङा भी न होता मेरे नाम,
कपङे भी है मैले मेरे न कोई रखता है अब मेरा ध्यान,
न खाने को कोई देता,सिर्फ करता रहता हूँ मै काम,
देख खेलते उन बच्चों को दिल में उठता एक तूफान,
आँखो में आँसू भर आते न मिलता कुछ आराम,
फिर दिल मुझसे यही पूछता कहाँ खो गई माँ
!!………
जब भी याद मुझे है आती,देखा करता तारों को,
फिर रातों में ढूँढा करता कौन सी है मेरी माँ,
इस दुनिया की भीङ में कहाँ छोङ गई मुझको माँ,
ऐसा लगता मुझको अब तो आ जाऊँ पास तुम्हारे माँ !!……..

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