मंगलवार, 24 नवंबर 2015

दर्द

गुलज़ार कहते है
खुशी फूलझड़ी सी होती है
रोशनी बिखरती झट से खत्म हो जाती है

दर्द देर तक महकता है
भीतर ही भीतर सुलगता है
उसकी खुशबू जेहन में देर
तक रहती है

ख़ुशी को भी हम
दर्द भर कर अहा से याद करते है
क्योंकि दर्द ही देर तक ठहरता है
दर्द यादों में जम जाता है
पिघलता है आंसू बन
कभी हंसी में बिखर जाता है

क्योंकि दर्द ही देर तक ठहरता है

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