सोमवार, 23 नवंबर 2015

मै हू............!

मै हूँ इँदिरा , मै हूँ सीता, मै ही दुर्गा कली हूँ ………..!
तोङ पुरानी बेङियो को आज नयी कहानी हूँ………!
मै नही पुरानी हूँ , मै आज की ही नारी हूँ…….!
तोङ जमाने की रस्मो को आज नयी रवानी हूँ……….!
मै सीता हूँ , मै हूँ इँदिरा, मै ही दुर्गा काली हूँ…….!
मै नदियाँ सी , मै चंचल सी, मै ही बहता पानी हूँ………!
मै माता ,मै ही ममता , मै ही जग की जननी हूँ………!

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here मै हू............!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें