शनिवार, 28 नवंबर 2015

" वक़्त की हार "

लिखा नहीं है कुछ आसमानो पे ,
फिर भी रोज़ ढूंढता हु अपनी किस्मत इन सितारों में ,
छोड़ रखी है अपनी ख्वाहिशें इन खुली हवाओं में ,
दिक्कतें बहुत लिखी है मंज़िल तक इन राहो ने ,
रोज़ एक नयी जंग लड़के आ रहा हु ,
इस ज़िन्दगी के फलसफे में अपनी ख़ुशी तलाश रहा हु ,
रोज़ हारता हु फिर लड़ता हु ,
जीत की उम्मीद में अपने हौसले को तराश रहा हु ,
एक पल आएगा जबमंज़िल मेरे जूनून और काबिलियत की गुलाम होगी ,
जब मै बेखौफ हसूंगा, वक़्त उस दिन तेरी हार होगी ||

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