शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

मुसाफिर

हम सब मुसाफिर है जिंदगी की राहो के
हँसते – रोते यंहा तुफानो से टकराना है!
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निकले है पाने को आशाओ के नजराने
मंजिल के बहाने मौत को गले लगाना है !!

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@___डी. के. निवातियाँ ___@

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