शनिवार, 28 नवंबर 2015

अब,रचना डॉ उमेश चमोला

दुनियां में चैन अमन नहीं है अब,
तरसती लाश के लिए कफन
नहीं है अब,
खुदा जाने क्या होगा अब?
शैतान के पाश में
बांध चुके हैं सब.
—–डॉ उमेश चमोला

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