मंगलवार, 24 नवंबर 2015

जिंदगी ......

जिंदगी ……

झरनो सी झरती, नदियों सी बहती
सागर सी ठहरी, अंतर्मन ही गहरी
पर्वत सी अचल, पवन सी चंचल
उपवन सी महकती, चिड़ियों से चहकती
फसलो सी लहलती ,तितली से मंडराती
बादल सी बरसती, बिजली सी गरजती
सूरज सी दहकती, चाँद सी चमकती
शाम सी ढलती , दिए सी जलती
मृग सी भागती, मयूर सी नाचती
लबो सी फड़कती, दिल से धड़कती
सिंह सी दहाड़ती, गज सी चिंघाड़ती
तारो की छाँव लिए, सपनो की नाव लिए
कदमो सी बहकती, नयनो सी भटकती
हर रंग रूप लिए, हर एक साज लिए
दुखो की गठरी संग सुखो को पोटली
दुनिया की एक चालक है
जिसके लिए सब बालक है
संग सबके रहती ,
सबको ये कहती,
जिंदगी मेरा नाम है !
चलना मेरा काम है !!
!
!
!
@—–डी. के. निवातियाँ —–@

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