मुक्तक। सम्मान के प्रति ।
घूँट अपमानों की पीता जी रहा इंसान है ।
  दम्भ, घृणा, ईर्ष्या है, खोखला अभिमान है ।
  देखकर गहरी परत ये मान पर अपमान की ,
  बैठ कोने में कहीँ अब रो रहा सम्मान है ।। 
@राम केश मिश्र
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