सोमवार, 23 नवंबर 2015

"दोष "

जब रास्तो में हसरते न पूरी हो सकी तो मंज़िल को दोष दे दिया ,
जब दिमाग ने जवाब देना बंद कर दिया तो दिल को दोष दे दिया |
जब खुद्की गलतियों को न स्वीकार कर सके तो परवरिश को दोष दे दिया ,
जब खुदको साबित न कर सके तो आजमाइश को दोष दे दिया |
जब उसे मन न सके तो रुस्वाई को दोष दे दिया ,
जब उसके काबिल न बन सके तो बेवफाई को दोष दे दिया|
जब कर्म न कर सके तो किस्मत को दोष दे दिया ,
जब अरमान खरीद न सके तो कीमत को दोष दे दिया |
जब रिश्ते निभा न सके तो वक़्त को दोष दे दिया ,
जब मिले नहीं भगवन तो भक्त को दोष दे दिया |
जब संभली नहीं लगाम तो मेह्खाने को दोष दे दिया ,
खुदका खून हुआ बदनाम को ज़माने को दोष दे दिया |
जब हुई बेकाबू आग तो हवाओ को दोष दे दिया ,
जब निभा नहीं धर्म तो रिवाज़ों को दोष दे दिया |
जब संभली नहीं खुद्की नाव तो बहाव को दोष दे दिया ,
जब न कर सका बदलाव तो स्वभाव को दोष दे दिया |
जब संभली नहीं आज़ादी तो इंक़लाब को दोष दे दिया ,
जब हुआ इन्साफ का वार तो नकाब को दोष दे दिया |
जब जीत न सका हर बार तो प्रतिद्वंदी को दोष दे दिया
जब हुआ कफ़न से प्यार तो ज़िन्दगी को दोष दे दिया ||

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