जब रास्तो में  हसरते न पूरी हो सकी तो मंज़िल को दोष दे दिया ,
  जब दिमाग ने जवाब देना बंद कर दिया तो दिल को दोष दे दिया |
  जब खुद्की गलतियों को न स्वीकार कर सके तो परवरिश को दोष दे दिया ,
  जब खुदको  साबित न कर सके तो आजमाइश को दोष दे दिया |
  जब उसे मन न सके तो रुस्वाई को दोष दे दिया ,
  जब उसके काबिल न बन सके तो बेवफाई  को दोष दे दिया|
  जब कर्म न कर सके तो किस्मत को दोष दे दिया ,
  जब अरमान खरीद न सके तो कीमत को दोष दे दिया |
  जब रिश्ते निभा न सके तो वक़्त को दोष दे दिया ,
  जब मिले नहीं भगवन तो भक्त को दोष दे दिया |
  जब संभली नहीं लगाम तो मेह्खाने को दोष दे दिया ,
  खुदका खून हुआ बदनाम को ज़माने को दोष दे दिया |
  जब हुई बेकाबू आग तो हवाओ को दोष दे दिया ,
  जब निभा नहीं धर्म तो रिवाज़ों को दोष दे दिया |
  जब संभली नहीं खुद्की नाव तो बहाव को दोष दे दिया ,
  जब न कर सका बदलाव तो स्वभाव को दोष दे दिया |
  जब संभली नहीं आज़ादी तो इंक़लाब को दोष दे दिया ,
  जब हुआ इन्साफ का वार तो नकाब को दोष दे दिया |
  जब जीत न सका हर बार तो प्रतिद्वंदी को दोष दे दिया
  जब हुआ  कफ़न से प्यार तो ज़िन्दगी को दोष दे दिया ||
सोमवार, 23 नवंबर 2015
"दोष "
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