होती किस्मत मेरी इन सितारों में,
  तो  देह मेरा पार्थिव न होता ,
  डर बिकता है इन बाज़ारो में इसलिए ,
  क्यूंकि मुस्कराहट का आजकल  व्यापार नहीं होता ||
अगर आंकलन होता सिर्फ लिबाज़ से मेरा,
  तो कफ़न का रंग कभी सफ़ेद न होता ,
  बन रहा  बनावटी हर चेहरा यहाँ इसलिए  ,
  क्यूंकि सादगी का आजकल प्रचार नहीं होता ||
होती अगर मेहर तेरी हर एक बन्दे पे ,
  तो तेरे द्वार पे मैँ भूखा  नहीं सोता,
  सियासत होती है रोटी पे इसलिए  ,
  क्यूंकि गरीबी  का आजकल  धर्म नहीं होता ||
अगर होता इश्क़ आसान मेरे यार,
  तो हीर-राँझा लैला-मजनू का चर्चा नहीं होता ,
  बदल रहा हु अपना प्यार हर दिन अब इसलिए   ,
  क्यूंकि मोहब्बत में आजकल  सब्र नहीं होता ||
अगर ले कर जा सकता धन दौलत साथ में ,,
  तो मेरा कभी कोई उत्तराधिकार न होता ,
  झूठ जीत रहा  हर जंग यहाँ इसलिए  ,
  क्यूंकि सच के साथ आजकल  इन्साफ नहीं होता ||

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