शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

वीरप्पन

ऐसा था उसका जीवन !
नाम था उसका वीरपन्न !
एेसा था उसका जीवन !
गरीबो के प्रति था अपना पन !
याद करका है जन जन !
ऐसा था उस का…………..!
शुरू हुआ उसका जीवन ,मुख मरी से तोडा माँ नें दम !
दवाई के लिए पैसे ना थे , खाने के लिए ना था अन्न !
एेसा था ……………………….!
14 वर्ष की आयु थी , बात यह पुरानी थी !
पैसा की जरूरत थी , कैसे बजाये पैसो की खनखन !
ऐसा …………… . ……….!
फिर एक चक्कर चलाया , दो हाथी मार गिराया !
बाजार में बेच आया ,कुछ पैसे ले आया !
कुछ रखा कुछ गरीबो मे बाट आया ,इतना ही था उसके पास धन !
ऐसा …………………………….!
मन में जोस था , ईश्वर दोस्त था !
जीवन भी जीना था , वन मे ही रहना था !
हाथ मे उठा ली गन !
ऐसा ……………………………!
उमर की बडती कतार ,कर रहा हाथ दांत का व्यापार !
मन में था गरीबो के प्रति प्यार , करने लगा चन्दन व्यापार !
जहां रहता वहां था वन !
ऐसा …………………………..!
जीवन से ना गबराया , मन्त्री क्या खन्त्री भी आया !
उसने बडे बडे नेता को मार गिराया !
कभी बन्दी बनाया तो , कभी छोड आया !
उसको चाहिये धन !
ऐसा……………………………………!
उसने मन्त्री खन्त्री को डराया , राज कुमार अभिनेता को ले आया !
कई वन रक्षक रो मार गिराया , लूट लिया इस माटी का धन !
ऐसा ………………………….!
सरकार मन्त्री ने चक्कर चलाया , एक बडा गिरोह बनाया !
देख मोका उसे मार गिराया , उसकी आंखो मे था मोतियाबिन्द !
ऐसा ………………………………!
उसमें एक बात अच्छी थी , मुह पर बडी बडी मुछै थी !
उसका एक कसुर था , क्योकी वो गरीब था !
उसके जीवन का हो गया अन्त !
ऐसा था उसका जीवन , नाम था उसका वीरप्पन !

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here वीरप्पन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें