अपने उसूलो पे ज़िन्दगी बसर कर ,
  इन सामाजिक रीतियों में तेरी  मासूमियत घट न जाए ,
  अपनाना आसान होता है बुराइओं को सभी ,
  कही ज़िन्दगी के किस्सों में इंसानियत की किश्त कम न पड़ जाए ||
अपनों के बीच मुस्कान बाँट लो ,
  मुश्किल हालात सिर्फ तन्हाई मे न कट जाए ,
  मिलने के लिए मौको की तलाश न करो ,
  कही ज़िंदगी के रिश्तो में  वक़्त की किश्त कम न पड़ जाए ||
हार जाओ खुदको किसी की खातिर ,
  अपने अभिमान से कही एक आशियाना बिखर न जाए ,
  वफ़ा से ही तो ज़िन्दगी खूबसूरत बनती है ,
  कही मोहब्बत के सफर  में वादो की किश्त कम न पड़ जाए ||
आँखों ने देखे है अरमान हज़ारो ,
  ये सिर्फ रात के सपनो में न सिमट के रह  जाए ,
  लड़ रहा हु हर प्रतिकूलता  से मैं यहाँ ,
  कही मंज़िल के रास्तो में हिम्मत की किश्त कम न पड़ जाए ||

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