क्या  आपको  नही  लगता ?
  कि  आजकल  हो  गई ,
  ढेरों  सुविधा  ने ,
  बहुत  दुविधा ,
  पैदा  कर  दी  है.
टी.वी. पर  आ  रहे ,
  विभिन्न  चैनल  की सुविधा  की  ही,
  बात  लीजिए ,
  पहले  जब  टी.  वी. पर  मुख्य दो  ही ,
  प्रोग्राम  आते  थे ,
  वोह  थे  बृहस्पतवार  को  चित्रहार ,
  और  इतवार  को  हिंदी  सिनेमा।
  हम  उसके  इंतजार  में ,
  बाकी  पांच  दिन ,
  ख़ुशी ख़ुशी  काट  देते थे। 
अब  तो टी. वी. पर  सैंकड़ों ,
  चैनल आते  हैं ,
  चैनल तो हैं ,
  पर चैन  नहीं,
  क्युंकि  हम सारा  परिवार  ,
  एकसाथ  बैठ  कर कोई  एक ,
  मनपसंद प्रोग्राम  नही  देख  सकता  है। 
सिर्फ  चैनेल  ही  क्यों ?
  अब  तो  एक  घर  मेँ ,
  टी.वी. भी  अनेक  हो  गये  हैं ,
  ताकि  हर  सदस्य  अपने  ही ,
  कमरे  में  अपने  टी. वी.पर ,
  अपने  पसंद  का  चैनल देख सके। 
मगर  उसमे  भी  किसी  को  चैन कहाँ  है ?
  ऐड  आने  पर  वो  दूसरा ,
  फिर  तीसरा  चैनल  बदलता  है। 
क्या  आपको  नही  लगता ?
  कि  आजकल  हो  गई ,
  ढेरों  सुविधा  ने ,
  बहुत  दुविधा ,
  पैदा  कर  दी  है.

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