शनिवार, 28 नवंबर 2015

दुविधा

क्या आपको नही लगता ?
कि आजकल हो गई ,
ढेरों सुविधा ने ,
बहुत दुविधा ,
पैदा कर दी है.

टी.वी. पर आ रहे ,
विभिन्न चैनल की सुविधा की ही,
बात लीजिए ,
पहले जब टी. वी. पर मुख्य दो ही ,
प्रोग्राम आते थे ,
वोह थे बृहस्पतवार को चित्रहार ,
और इतवार को हिंदी सिनेमा।
हम उसके इंतजार में ,
बाकी पांच दिन ,
ख़ुशी ख़ुशी काट देते थे।

अब तो टी. वी. पर सैंकड़ों ,
चैनल आते हैं ,
चैनल तो हैं ,
पर चैन नहीं,
क्युंकि हम सारा परिवार ,
एकसाथ बैठ कर कोई एक ,
मनपसंद प्रोग्राम नही देख सकता है।

सिर्फ चैनेल ही क्यों ?
अब तो एक घर मेँ ,
टी.वी. भी अनेक हो गये हैं ,
ताकि हर सदस्य अपने ही ,
कमरे में अपने टी. वी.पर ,
अपने पसंद का चैनल देख सके।

मगर उसमे भी किसी को चैन कहाँ है ?
ऐड आने पर वो दूसरा ,
फिर तीसरा चैनल बदलता है।

क्या आपको नही लगता ?
कि आजकल हो गई ,
ढेरों सुविधा ने ,
बहुत दुविधा ,
पैदा कर दी है.

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