मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

बसंत ऋतु

देखो आज बसंत ऋतु आई
चारो तरफ हरियाली है छाई,
रंगों का घर बनी भूधर
नीलगगन मे चिड़िया है मुस्काई,
बागो की कलिँया आज फूल बनी
जिन्हें देखकर तितली ने दौड़ लगाई,
कुदरत के अनोखे त्योहार को देख
अब सर्दी ने ली है विदाई,
आज सरस्वती माँ की पूजा कर
मैने माँगी है ज्ञान की गहराई,
छोटी सी जिंदगी मे कामयाब होने की
बसंत ऋतु मे कसम है खाई।।

नीरज चौरसिया “विद्यार्थी” कानपुर

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here बसंत ऋतु

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें