रविवार, 19 अप्रैल 2015

चमचागिरी-५

काश दुनिया के सारे चमचे मर जाते, हमारे देश के हालात तो सुधर जाते :
जो थोड़े से चमचे बच जाते, कुछ इधर कुछ उधर दौड़ा दिए जाते.

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