मंगलवार, 29 सितंबर 2015

एक नजर................. !!

    1. एक नजर पलट कर देख लो,
      शायद कुछ भूले से याद आ जाए
      भागदौड़ की चपल जिंदगी में,
      शायद कुछ आनंद के पल मिल जाए !!

      एक नजर………………………..मिल जाए !!

      वक़्त कहाँ अब खुद को पाने का,
      विलासिता में खुद को लिया उलझाये
      खिलखिलाकर हँसते थे निडर जब,
      शायद वो लम्हे फिर कही मिल जाए !!

      एक नजर………………………..मिल जाए !!

      प्रेम भावना आज लुप्त हुई है,
      उत्तेजना में हर कोई बहता जाए,
      त्याग कर निष्काम प्रलोभन का,
      शायद चित्त को कुछ चैन मिल जाए !!

      एक नजर………………………..मिल जाए !!

      कहाँ गए वो पल आमोद प्रमोद के,
      गमो के समुन्द्र में इंसान धँसता जाये
      कर साधना ज़रा शांत मन से,
      शायद आत्मग्लानि से मुक्ति मिल जाये !!

      एक नजर………………………..मिल जाए !!

      रिश्ते-नातो का कोई मूल्य नही अब,
      जग जननी संतान का कत्ल कर जाए
      कद्र करो अपने संस्कारो की,
      शायद मातृत्व की ममता फिर उमड़ जाए !!

      एक नजर………………………..मिल जाए !!

      जाने कहाँ खो रही इंसानियत,
      खुदगर्जी का आलम हर दिन बढ़ता जाए
      करो शर्म कुछ अपने जमीर की,
      शायद खुद की नजरो में गिरने से बच जाए !!

      एक नजर………………………..मिल जाए !!

      एक नजर पलट कर देख लो,
      शायद कुछ भूले से याद आ जाए
      भागदौड़ की चपल जिंदगी में,
      शायद कुछ आनंद के पल मिल जाए !!
      !
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      [[__________डी. के निवातियाँ _________]]

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