शनिवार, 19 सितंबर 2015

चले है स्वच्छ भारत करने पर ,

चले है स्वच्छ भारत करने पर ,
वहीँ के वहीँ पे हैँ I

हमने तो बजा दी स्वत्छ भारत की रणभेरी -2,
न गंगा ,यमुना साफ हुई ना कृष्णा ,कावेरी I

हम सबको मालूम है , हम सबमे में ही कमी है I
चले हैं स्वत्छ भारत करने,
वहीँ के वहीँ पे हैँ I

ना शहर की गलियां साफ हुईं ना साफ हुआ घर का परिवेश ,-2
कैसे कहूँ मैं ? की स्वत्छ होगा भारत देश I

कदम बढ़ाये स्वत्छ भारत की ओर
पर पांव वही थमीं है I
चले है स्वच्छ भारत करने पर ,
वहीँ के वहीँ पे हैँ I

ना गन्दगी फैलाने देंगे ना गन्दगी फैलाएंगे -2
स्वत्छ भारत बापू का सपना सफल हम बनाएंगे I

शपथ लिया था मिल सब हमने, पर शपथ याद नहीं है
चले है स्वच्छ भारत करने पर ,
वहीँ के वहीँ पे हैँ I

अधि आबादी को देश में शौचालय नहीं नशीब-2
स्वच्छ भारत का सपना तब लगता है अजीब I

सर पर धोने की मैला,प्रथा यहाँ अभी है I
चले है स्वच्छ भारत करने पर ,
वहीँ के वहीँ पे हैँ I

खाने को दो वक्त की रोटी जिसको नहीं जूता है-2
स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत के उसको सूझता है I

सोचता हूँ देश के हालत आँखे होती नमीं है ,
चले है स्वच्छ भारत करने पर ,
वहीँ के वहीँ पे हैँ I

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