शनिवार, 26 सितंबर 2015

।।ग़ज़ल।।इंसान नही मिलते है।।

।।ग़ज़ल।।इंसान नही मिलते है।।

ये इश्क़ है दोस्त यहा पर ईमान नही मिलते है।।
इस इश्क की दुनिया में इंसान नही मिलते है।।

तोड़ देगे दिल हरहाल किसी ‘साहिल’ पर ।।
यहा दर्द के शिवा कुछ इनाम नही मिलते है ।।

नाम तक मिट जाता वफ़ा की कोई बात नही ।।
राहे मुहब्बत पर कुछ निसान नही मिलते है ।।

अदाओ की कशिश की कोई परवाह नही होगी तब ।।
‘साहिल’ पर फ़िसले तो गुमान नही मिलते है ।।

हर शख़्स गम का मारा हर ओर गुमसुदा सब ।।
हर ओर बेखुदी है यहा हैरान नही मिलते है ।।

इस इश्क़ की महफ़िल में हर तऱफ रंजोगम हैं ।।
यहा कारवाँ निकलता अंजान नही मिलते है ।।

..R.K.M

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here ।।ग़ज़ल।।इंसान नही मिलते है।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें