ना वक्त बदला ना सोच बदली
  ना कोई करिश्मा छाया है
  ना दोष घटा ना रोष घटा
  ना कोई फरिश्ता आया है
  सब चेहरे पर है नकाब लगे
  शराफत का चौगा भाया है
  खिल उठे है चेहरे सबके
  फिर से चुनाव ये आया है
  फैलाया है आँचल अपना
  समाज के ठेकेदारो ने
  जिसने ना दिया कोई टूक कभी
  बाँटे है मिठाई हजारो मे
  जो ईद का चाँद बना रहता
  वो कदम धरा पर लाया है
  ईद-उल-फितर नही भाई
  फिर से चुनाव ये आया है
  सद्भावना प्रकट हुई
  सबके मान विचारो मे
  पत्थर भी भावुक होने लगे
  अब कान लगे दीवारो मे
  जिन्हे कदम चौखट पर रखने ना दिया
  अब उनको शीश झुकाये है
  पानी की एक बूंद ना देई
  अब घर पेटी पहुँचाया है
  मेल मिलाप अब बढने लगा
  भूखे को मिले निवाला है
  राजनीति का ज्वर भला
  सबके सर चढने वाला है
  देश के अच्छे दिन ना सही
  गरीबो का दिन आया है
  अब भूखा ना सोना पडेगा
  फिर से चुनाव ये आया है
  अब एक बोतल मे बेचेंगे
  वोट के अधिकार को
  टुकडो पर जो भागने वाले
  क्या समझे इमानो को
  नेता को गालिया देना छोडो
  सत्ता मे तुमने ही लाया है
  अब तो आँख से पट्टी खोलो
  फिर से चुनाव ये आया है
बुधवार, 23 सितंबर 2015
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