शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

।।गजल।।दिल को जलाने के लिये।।

📝।।ग़ज़ल।।इस दिल को जलाने के लिये ।।📝

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भरोसा तो चाहिये दोस्त मुहब्बत निभाने के लिये ।।
दिल पर पथ्थर भी रख लेंगे आजमाने के लिये ।।
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सिर्फ नज़रो के इशारों की हम तवज्जो नही करते ।।
कोई भी मिल जायेगा यहा मुस्कराने के लिये ।।
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हर बार की तरह तुम भी कुरेद जावोगे मेरे दिल को ।।
तब गम भी नही बच पायेगा गवाने के लिये ।।
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मेरे दिल टूटने के किस्से इतने हमआम हो गये है कि
अब महफिले भी नही मिलती दर्द छुपाने के लिये ।।
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हर बार धोखा ही पाया है अदाओ पर इल्म करके ।।
अदायें तो होती ही है बस दिखाने के लिये ।।
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गर्दिशों के दौर से गुजर आया हूँ ये मेरे दोस्त ।।
बेवज़ह वक्त बर्बाद न कर मुझे लुभाने के लिये ।।
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अब इन आँखों में प्यार की तस्वीरें नही बनती है ।।
तुम होगी कोई हशीना इस जमाने के लिये ।।
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जा कल पूछ कर आना अपने दिल से तन्हाइयो में ।।
वरना आना ही मत इस दिल को जलाने के लिये ।।

✏✏✏.R.K.M

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