।।ग़ज़ल।।इस दिल को जलाने के लिये ।।


  भरोसा तो चाहिये दोस्त मुहब्बत निभाने के लिये ।।
  दिल पर पथ्थर भी रख लेंगे आजमाने के लिये ।।
  

  सिर्फ नज़रो के इशारों की हम तवज्जो नही करते ।।
  कोई भी मिल जायेगा यहा मुस्कराने के लिये ।।
  

  हर बार की तरह तुम भी कुरेद जावोगे मेरे दिल को ।।
  तब गम भी नही बच पायेगा गवाने के लिये ।।
  

  मेरे दिल टूटने के किस्से इतने हमआम हो गये है कि
  अब महफिले भी नही मिलती दर्द छुपाने के लिये ।।
  

  हर बार धोखा ही पाया है अदाओ पर इल्म करके ।।
  अदायें तो होती ही है बस दिखाने के लिये ।।
  

  गर्दिशों के दौर से गुजर आया हूँ ये मेरे दोस्त ।।
  बेवज़ह वक्त बर्बाद न कर मुझे लुभाने के लिये ।।
  

  अब इन आँखों में प्यार की तस्वीरें नही बनती है ।।
  तुम होगी कोई हशीना इस जमाने के लिये ।।
  

  जा कल पूछ कर आना अपने दिल से तन्हाइयो में ।।
  वरना आना ही मत इस दिल को जलाने के लिये ।। 
✏✏✏.R.K.M
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