मंगलवार, 22 सितंबर 2015

चाहतें

कौन कहता है चाहतें बेकार जाती हैं
दिल से करो एक दिन ये रंग जरूर लाती हैं
कुछ पाने को तो करना पड़ता है इन्तजार
आखिर युहीं मिलता नहीं है इश्क में करार
मिलके जिसे ये जिंदगानी मुस्कराती है
ऐसी ख़ुशी जीवन में किस्मतों से आती है
थाम लो न जाने दो अपने से उसको दूर
चारों तरफ होगा तुम्हारे बस ख़ुदा का नूर.

शिशिर “मधुकर”

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