शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

हिंदी पखवाडा

वो खड़ी हसं रही थी
पूछा की कौन तू
जो अकेली हंस रही
दुखी रहनेवाली दुनिया पर
कालिख क्यूँ घस रही है

फिर हँसी बोली हिंदी नाम हैं मेरा
क्या सुना है तुमने कही?
मैंने कहा
तू ही तो मेरी अपनी भाषा है
सारे देश की भाषा है
तभी इस देश को हिंदी पखवाडा मानने की जरूरत पड़ती है?
उसने कहा
सवाल कही चुभ सा गया

जिस देश में अंग्रेगी स्कूल में पढना
शान की निशानी है
हिंदी में बोलना पिछड़े होने
का तमगा सा है

हिंदी पखवाडा मानना अस्त्वित को बचाना जैसा लगता है
सरकारी भाषा का स्थान पाने के बाद भी सरकारी दफ्तरों में
अपने हिस्से के लिए लड़ना पड़ता है
राष्ट्रीय भाषा बनाने की लड़ाई अब भी जरी है
हिंदी के अस्तित्व पर क्या विदेशी भाषा भारी है?

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