- मूर्तिकार पड़े सड़को पर,
मिटटी के भगवान बेच जिनके पेट पाले जाते हैं !जो देते है पत्थर को ईश रूप,
ऐसे इंसान अक्सर बेचारे बेघर पाये जाते है !जो बनाते मंदिर मस्जिद,
बेबसी में वो लोग उनकी सीढ़ियों पर बैठे पाये जाते है !जो सजाते दुसरो के महल,
अक्सर वो ही लोग टूटी झोपड़ पट्टी में बसे पाये जाते है !भक्तो की बात न पूछो मेरे देश में,
बुजुर्गो को दुत्कार और ढोंगी बाबा घरो में पूजे जाते है !!इस दुनिया की रीत निराली,
Read Complete Poem/Kavya Here दुनिया की रीत.......
ताजमहल बनाने वालो के अक्सर हाथ कटवाए जाते है !
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[[_________डी. के. निवातियाँ ________]]
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