तू दीन कर,तू हीन कर,तू फकीर नंग धड़ंग कर
  दरिद्र कर,दारूण कर,याकि एक मलंग कर
  बस गुब्बारा ना बनने देना 
तू टिप्पू कर,तू पिट्टू कर
  तू गिल्ली डंडा कर,मन करे शतरंज कर
  बस गुब्बारा ना बनने देना 
तू सूखा कर,तू अकाल कर,
  तू शीत कर,भाये तो बसंत कर
  बस गुब्बारा ना बनने देना
तू वीणा कर, सितार कर,गिटार कर
  तू बांसुरी कर,धड़काए जो मृदंग कर
  बस गुब्बारा ना बनने देना 
तू आक्रोश कर,आवेश कर,आंसू कर
  तू खुशी कर,जी आए आनंद कर
  बस गुब्बारा ना बनने देना  
तू कीट कर,तू चींटी कर,तू चाहे तो पतंग कर
  तू दीमक कर,तू झींगुर कर,चाहे तो भुजंग कर
  बस गुब्बारा ना बनने देना 
पंछी,दरिया,हवा,पौधा,पत्ती घास कर
  बिल्ली,कुत्ता…चाहे जो प्रपंच कर
  बस गुब्बारा मत बनने देना 
राजदीप…
Read Complete Poem/Kavya Here बस गुब्बारा ना बनने देना .......
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