बुधवार, 30 सितंबर 2015

किसको ठहराए दोषी .......

    1. कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!

      कलयुग में लोगो की कैसी मति गयी मारी
      देह व्यापार में संलिप्त हुए नर और नारी
      धन दौलत का इन पर ऐसा चढ़ा बुखार
      जिसके लालच में बन बैठे ये व्यभिचारी !!

      कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!

      मंदिर, मस्जिद बने आज जेहाद के अड्डे,
      ढोंगी बाबा, फरेबी मुल्ला बन गए व्यापारी
      झूूठ आडंबर में फसते कैसे अंधे भक्तो यंहा
      जिनकी नादानी से चलती इनकी व्यापारी !!

      कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!

      मदरसे, पाठशालाएं बने आज अपराध की शाखा
      शिक्षक गण यंहा पर सब बन भगत मौन खड़े है
      ज्ञानी करे चाकरी, डुअलट वाले यंहा नबाब बने हैं
      डिग्रियों की बोली लगती,पैसे वाले खरीददार खड़े है

      कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!

      दुश्मन आज सीना ताने खड़ा है
      आजाद देश फिर खतरे में पड़ा है
      जनता दुविधा की राह चल पड़े है
      कौन हो देश का रक्षक, सब दूजे से भक्षक बड़े है !!

      कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!

      किस पर करे आजा भरोसा, हर इंसान यंहा डरा है
      घर घर बैठा कोई रावण, खतरे नारी सम्मान पड़ा है
      पैसो में भगवान बिकते, निर्धन बेसहारा लाचार खड़ा है
      राम राज अब कैसे आये,जब है इंसान में शैतान बसा है

      कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!

      बुजुर्ग बने है घर पर बोझा, किसे अनुभव सिखाए
      भटक रहा है युवा आज का, अब कौन राह दिखाए
      हर कोई व्यस्त खुद में,सुविचार नीति कहाँ से पाये
      पाश्चात्य के सब बने गुलाम, संस्कार कौन सिखाए !!

      कैसी अपनी हालत कर ली, इंसान बना यंहा लोभी भोगी !
      किस पर इसका दोष लगाए, अब किस को ठहराए दोषी !!
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      [[_____डी. के. निवातियाँ _______]]

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