गुरुवार, 24 सितंबर 2015

==* हो गया सवेरा *==

स्वच्छ हो भारत मेरा दूर हो अंधियारा
जागो भारत जागो देखो हो गया सवेरा

प्रतिदिन एक पेड लगाये
भारतमे हरियाली लाये
गंदगी को कुछ दूर भगाये
इस भारत को स्वच्छ बनाये

स्वच्छ हो भारत मेरा दूर हो गंध सारा
जागो भारत जागो देखो हो गया सवेरा

कुडा कर्कट सही जगह डाले
खुदको स्वच्छता प्रेमी माने
करले निश्चय स्वच्छता का
गंदगी अपने मनसे निकाले

स्वच्छ हो भारत मेरा दूर हो मोहमाया
जागो भारत जागो देखो हो गया सवेरा

क्या लेकरके आये थे तुम क्या लेकर है जाणा
सबको इस काली मिट्टीके गोदमे कल है सोना
—————————–****———————–
शशिकांत शांडीले (SD), नागपूर
Mo. ९९७५९९५४५०

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here ==* हो गया सवेरा *==

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें