गुरुवार, 17 सितंबर 2015

।।ग़ज़ल।।दिल मजबूर हो गया है ।।

।।ग़ज़ल।।दिल मजबूर हो गया है ।।

हर चेहरा किसी के प्यार में नूर हो गया है ।।
इसी वज़ह से हर किसी को ग़ुरूर हो गया है ।।

ऐतराज मुझे भी नही है किसी की नज़ाक़त पर।।
पर मेरा भी दिल इसमें नासूर हो गया है ।।

भला मिलता ही क्या होगा किसी को बेवफाई से ।।
दिलो में दर्द सहकर भी खुदी से दूर हो गया है ।।

मिले थे कल तो वे बोले तुहारी याद आती है ।।
मग़र हालात के चलते ये दिल मजबूर हो गया है ।।

मुझे मालूम था सब कुछ फिर भी मैं चला आया ।।
मुझसे दूर रहना अब उन्हें मंजूर हो गया है ।।

गज़ब है यार ये दुनियां भरोसा अब नही होता ।।
भरोसा तोड़ देना अब यहा दस्तूर हो गया है ।।

…. R.K.M

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