शनिवार, 19 सितंबर 2015

आज का प्यार : दो पल के ।

तस्वीर जिसकी है नजर के सामने,
रहती है वह मेरे दिल के सामने,
जिंदगी में कभी वह मिले न मिले,
पर रहती है वह मेरे, नजर के सामने।

वो हसीन पल हम न सके न भूलने
सपनों के महल जब लगे सजाने,
बस यूं ही रहे हम सपने सजाने,
हाँ, वही है मेरे नजर के सामने।

जब हुई मुलाक़ात उनसे अनजाने,
खो गए कहाँ यह, हम न जाने,
कुछ दिन तक हम हुये दीवाने,
क्या थी उनके मन मे, हम न जाने।

यूं जब लगे वह मुझे सताने,
तनहा रहूँ अब, मै किसके सहारे,
उन्हे देखते ही हम लगे मुरझाने ,
बैठी थी वह किसी के साथ, नदी के किनारे।

-संदीप कुमार सिंह ।

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