यह दिल है कितना भोला,
  सभी के सामने है उसने राज़ खोला,
  की उसे सहारे की ज़रुरत है,
  वह न जाने की यह सब कहना ही एक मुसीबत है।
बच्चों की तरह मासूम,
  सपनों के जहान में कहाँ खो गया, उसे नहीं मालूम,
  किसी से ज़्यादा देर तक रूठ न पाया,
  उसे जब धुप लगती है, तो तुरंत मिलती है छाया ।
इस उम्र में,
  वह किसी को भी जान दे दे,
  किसी से भी प्यार कर बैठे,
  किसी को भी अपने अंदर छुपाकर रखे।
मेरा दिल भी,
  कुछ इस तरह है कि,
  उसे समझना और समझाना है कठिन,
  हम दोनों रह न पाएँगे एक दूसरे के बिन।
कभी चुप है,
  कभी बोलते रहता है,
  अपना बोझ कम करने हेतु क्या नहीं करता है,
  कभी रोता है, तो कभी हक़ के लिए लड़ने जाता है।
बचपन से लेकर आज तक,
  अकेला ही है,
  क्या करें, मेरे सिवा उसे कोई समझता ही नहीं ,
  कभी रो देता है वह खून के आँसूओं की नदी ।
इसे ज़रूर इन्साफ मिलेगा,
  और वह ऊपरवाला देगा,
  वह ही अब इसे टूटने से बचा सकता है,
  वक्त पर न मिले मदद, तो इसके राख हो जाने की संभावना है।

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