हर कोई मांग रहा
  देश में एक दूजे से हिसाब !
  हम से पूछो, हम बताये
  आज देश में हुआ कितना विकास !!
साध्य अपने कम हुए ,
  नहीं बढ़ाया साधनो का भण्डार !
  भेड़ बकरी से बढ़ते गए,
  हम इसपे कभी न किया विचार !!
अशिक्षित से शिक्षित हुए,
  पर बुद्धि का अपनी कहाँ विकास हुआ !
  तब के अनपढ़ आज ज्ञानी,
  आज पढ़ लिखना जैसे बकवास हुआ !! 
आज कितने पढ़ गए हम
  जब हमने जाना इस बात का ज्ञान हुआ !
  आज चपरासी पद के लिए,
  डिग्री धारको का आवेदन आम हुआ !!
झूठ फरेब का सिक्का चलता
  सत्य आज अपाहिज हुआ !
  आज बलवान से हर कोई डरता
  शाशन यंहा मजबूर हुआ !!  

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