बुधवार, 30 सितंबर 2015

हर कोई मांग रहा
देश में एक दूजे से हिसाब !
हम से पूछो, हम बताये
आज देश में हुआ कितना विकास !!

साध्य अपने कम हुए ,
नहीं बढ़ाया साधनो का भण्डार !
भेड़ बकरी से बढ़ते गए,
हम इसपे कभी न किया विचार !!

अशिक्षित से शिक्षित हुए,
पर बुद्धि का अपनी कहाँ विकास हुआ !
तब के अनपढ़ आज ज्ञानी,
आज पढ़ लिखना जैसे बकवास हुआ !!

आज कितने पढ़ गए हम
जब हमने जाना इस बात का ज्ञान हुआ !
आज चपरासी पद के लिए,
डिग्री धारको का आवेदन आम हुआ !!

झूठ फरेब का सिक्का चलता
सत्य आज अपाहिज हुआ !
आज बलवान से हर कोई डरता
शाशन यंहा मजबूर हुआ !!

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