रविवार, 22 नवंबर 2015

मुक्तक-यादें-शकुंतला तरार

12-08-2015 ''यादें''
बचपन, जवानी और बुढापा तेरे संग
उम्र गुजारी हमने यारा तेरे संग
तू ना होता कैसे कटता यह जीवन
पल-पल का अनमोल सहारा तेरे संग ||
शकुंतला तरार –

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