रविवार, 22 नवंबर 2015

मुक्तक-सत्कार-शकुंतला तरार

मुक्तक-सत्कार

जहाँ हो बात फूलों की काटों से प्यार कर लेना
चाँद प्यारा है मावस पे मगर ऐतबार कर लेना
क्या हुआ आज का सुख कल नहीं होगा, न होने दो
दुखों का भी ख़ुशी से तुम मगर सत्कार कर लेना ।।
शकुंतला तरार रायपुर (छत्तीसगढ़)

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