बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

उड़ते पंछी..........

हम उड़ते पंछी है, किसी के हाथ ना आयेंगे
लालच के चन्द दानो में हम फंस ना पायेंगे !!

हम आकाश में उड़ते है नजरे जमीं पे होती है
जहां टिका दे अपने पंजे वंहा से हिल न पाएंगे !!

जब ठान लेते है दिल की, फ़ना होने से ना डरते है
परवाने आशिक शमां के, जलने से डर ना पायेंगे !!

हम बे खौफ उड़ते है, तुफानो से अक्सर लड़ते है
हर वक़्त गर्दिश में रहते है, मौत से ना घबरायेंगे !!

रोज़ रंग बदलते देखा है इस बेदर्द जमाने को
गिरगिट की तरह से हम, रंग बदल ना पायेंगे !!

अपनी शर्तो पे जीता है “धर्म” काफ़िर जमाने में
मुबारक तुमको टेढ़ी चाल, हम इसपे चल ना पायेंगे !!

हम उड़ते पंछी है, किसी के हाथ ना आयेंगे
लालच के चन्द दानो में हम फंस ना पायेंगे !!
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डी. के. निवातिया……………

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