“इक दिन”
खुशबू हूँ हवाओं में संवर जाऊँगी इक दिन ग़र साथ मिले तेरा निखर जाऊँगी इक दिन इस दिल को चुराने वाले ज़रा देख इधर भी बादल हूँ तेरे दर पे बिखर जाऊँगी इक दिन || शकुंतला तरार रायपुर (छत्तीसगढ़)
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