“मुस्कुराए” कभी मुस्कुरा के रोए कभी रो के मुस्कुराए, छलकती हुई आँखों की नमी धो के मुस्कुराए, कभी दास्ताने हसरत कहा था तुमने मुझसे, उन्हीं हसरतों के बीज मैंने बो के मुस्कुराए || शकुंतला तरार रायपुर (छत्तीसगढ़)
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