“ओस में भीगी इक सुबह”
ओस में भीगी-भीगी सी इक सुबह ठण्ड में ठिठुरी जाती सी इक सुबह धूप का इक टुकड़ा उसे था डरा रहा ज़िंदगी ज्यूं गुनगुनाती सी इक सुबह || शकुंतला तरार रायपुर (छत्तीसगढ)
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