शुक्रवार, 18 मार्च 2016

कलमों के सौदागर

— ——-कलमों के सौदागर—–

देशभक्ति पर ढोंग रचाते कुछ कलमों के सौदागर
आतंकी का मान बढ़ाते कुछ कलमों के सौदागर
जिनकी कलम चवन्नी भर की कीमत से है बिक जाती
कलमों का सम्मान गिराते कुछ कलमों के सौदागर

जिन कलमों में आज भरी है अफजल नाम की स्याही है
लगता है उनके घर में अफजल की बेटी ब्याही है
और नपुंसक की औलादें हमको तो वो लगती हैं
जिसने चाटुकारिता में ही अपनी कलम ज्यायी है

कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080

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