तन मोहक, कण – कण खिलता रूनझुन – रूनझुन पायल बजता करती अठखेलियाँ होठों पर नथनी भाव विह्वल चंचल चितवन घुघट से झाकती दुल्हन कजरारे पिया को बैचैन नयन हाथों की मेहदी को छु के कर दे यादगार ये रैन. ………..
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