संवेदनाओं की लहर इतनी हैं
  जितनी आकाश में उड़ती हवाए
  हवाओ में खुश्बू जैसे नवकंज
  पानी की सतह पर तैरते कमल के पत्ते
  उन पत्तों पर पड़े जितनी ओस की बुदे
  उतनी ही संवेदनाओं से पल्लवित, पुष्पित
  सुगन्धित, आन्दोलित और हर्षित मन
                                                  सविता वर्मा 

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