फ़ासले रिश्तों के दरमियाँ
  बता कर नहीं आते
  कोई ज़ख्म गहरा
  कोई मजबूरी सी
  कोई ग़म
  कोई अफ़सोस इक रोज़
  अपने साथ सब कुछ
  ले जाता है
  और ख़ामोश रूहें
  अलविदा कह कर बिछड़ जाती हैं
  उम्र भर के लिए
  दिल चीख चीख कर रोते हैं
  पर आवाज़ नहीं करते
  उन्हें चुप कराने
  बड़ी देर तक कोई नहीं आता
  ज़िन्दगी भी नहीं
  मौत भी नहीं।

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