शादी से पहले
—————–
उसकी झुल्फे जब यूँ
मेरे चेहरे से टकरा गई
खिल उठा ये चेहरा और
दिल से आवाज़ आ गई
मत बांध अपनी झुल्फो को
यूँ ही इसे लहराने दो
मदहोश मुझे कर रखा है
होश में मुझे ना आने दो ll
शादी के बाद
—————–
उसकी झुल्फे जब यूँ
मेरे चेहरे से टकरा जाती है
गुस्से से भर जाता है चेहरा
दिल से यही आवाज़ आती है
बांध ले अपने इन चुंडो को
फैला के क्यों इन्हे यूँ रखा है
कितने दिन ये धोये हो गए
बेहोश मुझे कर रखा है ll
———————–
Read Complete Poem/Kavya Here तब और अब (व्यंग)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें