—————बहना——————–
बिन बहना के लगती है कैसी भईया दूज
पूछे कोई जा के बिन बहना के भाई से
आये माँस सावन का प्रीत रीत पावन का
असना ही फैले देख सूनी सी कलाई से
दे जो भगवान भी दें बहना हर भाइयों को
पर डरते ना लोग करने बुराई से
आने वाली बहनों को कोख में जो मार देते
ऐसे ही “माँ-बाप” लगें बद्तर कसाई से
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080
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