अब वो मोहब्बत , वो प्यार कहाँ ……….
  अब वो दिल और , वो दिलदार कहाँ !!
इंतज़ार में जिनके  घड़ियाँ तकते रहते थे ……
  राहों पर जिनकी , नजरें बिछाये रहते थे !!
  सामने आते ही जिनके ,नजरें झुक जाती थी ……
  सहम जाती थी साँसे , लव खामोश रहते थे !!
अब वो मोहब्बत……………….वो दिलदार कहाँ….
खुद मिटकर भी जो , अपना प्यार निभाते थे……..
  रो-रो कर यादों में यार की , दिन रात तड़पते रहते थे !!
  यार की खातिर जीते थे , यार के खातिर मरते थे ……….
  कहाँ गये वो लोग पुराने , जो पाक मोहब्बत करते थे !!
अब वो मोहब्बत ………………वो दिलदार कहाँ………..
ख़ुदा के आगे झुके रहते थे , सजदे में हमेशा जिनके सिर……
  और दुआओं में वो बस अपने , यार को माँगा करते थे !!
  पूजा करते थे यार की , यार को ही रब समझते थे ………
  यार ही रब था, यार ही ख़ुदा था, और यार को ही ईश्वर समझते थे !!
अब वो मोहब्बत ………………वो दिलदार कहाँ……….
इक फूल भी यारों का देना , सबसे कीमती तोहफा था……
  उस फूल की एक-एक पत्ति को , वो सीने से लगा कर रहते थे !!
  हमारी भी यारों “नैना-कृष्णा ” की , कुछ ऐसी ही कहानी है……..
  हम भी एक-दूजे के लिए , ऐसे ही तड़पते रहते है !!
अब वो मोहब्बत ………………वो दिलदार कहाँ……….
न वो देखे थे मुझको , न मैने उनको देखा था …….
  फिर भी हम दोनों , हमेशा इक दूजे के करीब रहते थे !!
  जाने कब मोहब्बत ने , मुझे शायर बना दिया ………..
  हम तो अपनी इस पाक मोहब्बत , के किस्से लिखते रहते थे !!
अब वो मोहब्बत ………………वो दिलदार कहाँ……….
रचनाकार : निर्मला (नैना)
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