तेवरी । चारो तरफ़ बवाल है ।
भारत माँ की शान का ।
  जनता के अरमान का । बुरा हो रहा हाल है ।। 
दिशाहीन इस राज में ।
  अंधे बने समाज में ।चारों तरफ़ बवाल है । 
प्रेम नही बस स्वार्थ है ।
  जन जन का ,चरितार्थ है । हुआ जा रहा काल है ।   
सज्जन तरसे भात को ।
  करे घोटाला रात को । गुंडे मालामाल है। 
रंक गिरा मझधार मे ।
  महँगाई की मार में ।काढ़ी उनकी खाल है । 
आतंकी आधार पर ।
  होते रहे शिकार पर । छुपे रह गये व्याल है । 
इन्हें फ़िक्र क्या शेष का ।
  मोल करेगे देश का । टेड़ी इनकी चाल है । 
देश बन्धु !हर मामला
  डटकर करो मुकाबला ।तन मन धन काल है।  
®राम केश मिश्र
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