शुक्रवार, 18 मार्च 2016

तू मेरी तक़दीर हैं

तेरी चाहत मुझे ले आई तेरे करीब हैं ……
अब तेरे हाथों में ही मेरी तक़दीर हैं !!

अनजानों से भरी इस दुनिया में मुझे …….
दिखाई देती सिर्फ तेरी तस्वीर हैं .!!

कुछ वक़्त के लिए ऐसा लगा जैसे कोई नहीं हैं ……
फिर भी मेरे हाथों में तेरे नाम की लकीर हैं .!!

मिली जो अचानक नजर तुमसे ………
यूँ लगा दिल के पार हुआ कोई तीर हैं .!!

कहना बहुत कुछ था तुझसे मुझे ………
कुछ कह नहीं पाती हुँ ये दिल कितना मजबूर हैं .!!

तड़प उठा फिर ये दिल मेरा …………..
तेरी सादगी में कैसा ये नूर हैं .!!

हर पल तेरे ही बारे में सोचा करते हैं हम …..
मुझको तुझसे बाँधे कैसी ये जंज़ीर हैं .!!.

रचनाकार : निर्मला ( नैना )

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