गुरुवार, 17 मार्च 2016

आरक्षण की आग

पूरब हो या पश्चिम हो या बात करें उत्तर दक्षिण की
हर जगह कोलाहल है बस केवल आरक्षण की
यू.पी. हो या एम.पी हो या फिर हरियाणा राजस्थान है
आरक्षण की आग में झुलसा पूरा हिन्दुस्तान है
आरक्षण केवल राजनीतिक हथकंडा है
सत्ता पाने का केवल एक सियासी धंधा है
आरक्षण वैशाखी है शासन करने वालों की
और सहारा बन जाता है मेहनत से डरने वालों की
जो अपनी प्रतिभा के दम पर कुछ खास नहीं कर पाते है
वो केवल आरक्षण के बल पर आगे बढ़ जाते हैं
आरक्षण का जब तब राग अलापा जाता है
प्रतिभा को भी जाति के मापदंड से मापा जाता है
मेहनतकश भी कभी कभी वंचित रह जाते हैं
जब प्रतिभा के बदले जाति देखे जातें है
कुछ लोगों के तो इतने भविष्य सुरक्षित होते है
क्योंकि इनकी श्रेणी पहले से ही आरक्षित होते है
आरक्षण हल नहीं है अपितु समस्याओं की जड़ है।
केवल वोट बैंक की खोने का डर है।
संविधान में की जाने वाली गड़बड़ है।
राजनीति का जरिया भर है।
भरपाई अब कौन करेगा इससे होनेवाले नुकसान की
विश्व पटल पर ध्ूामिल होती छवि हिन्दुस्तान की।

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here आरक्षण की आग

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें