जालिम बहुत है वो हर घर, गली , मुहल्ले में छुपे बैठे है
उनसे अपना चेहरा छुपाये रखना, नजरे बचाये रखना,
कही कर न जाए दागदार पाक दामन को पाकर मौका
बेशकीमती है मेरा चमन, इसकी आबो हवा बनाये रखना !!
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डी. के निवातियां
Read Complete Poem/Kavya Here बेशकीमती है मेरा चमन...........
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