मंगलवार, 15 मार्च 2016

देशभक्त वकील

देशद्रोह के गद्दारो को पीटने वाले वकीलों के समर्थन में आवाज़ उठाती तथा आरक्षण की आड़ में आग लगाने वालों को ललकारती मेरी ताजा रचना —

रचनाकार-कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
whatsapp 9675426080

हम शमशीरो की नोक से ही
लिखने वाले अपनी किस्मत
फिर छुप कर देख नहीँ सकते
भारत माँ की लुटती अस्मत
मर जाएँगे मिट जाएँगे
हो जाएँगे बलिदान यहाँ
पर उससे पहले शत्रुदलों को
कर देंगे शमशान यहाँ

सब देखो आज कोट काला भी
ये हमको बतलाता है
कपड़े काले दिल ना काला
बस आज यही सिखलाता है
ऐसे ही खून खौल जाए
हर वर्दी और वकीलों का
तो केश ख़त्म ही हो जाएगा
भटकल और शकीलों का

जब देश प्रेम की हर इक दिल में
भभक उठी है चिंगारी
तो आरक्षण की आग
लगाने की करली है तैयारी
अब जयचंदों ने आग लगा दी
हँसती खिलती बस्ती में
अब माँग रहे आरक्षण
जो रातों दिन झूमें मस्ती में

अब कठपुतली बन रहे हैं सब ही
पाकिस्तानी चालों की
अब खुद ही आज नमक बनते
जो दवा बने थे छालों की
होली से पहले ही हरियाणा
जला जला कर दी होली
अब दिखते हवस वासना के मुख
जिनमें थी सूरत भोली

अब देशद्रोह भी दिखता है
इन दुष्टों की करतूतों में
अब आरक्षण की दाल पिलाओ
इनको भरकर जूतों में
अब तोड़ दो आरक्षण की
ज़ंजीरें घोडों के पैरों से
रुकती गाड़ी को मिल जाए
छुटकारा ऐरो गैरों से

ये “देव” कहे भारत माँ के
घर में जो आग लगाए जी
अब उसी आग में उसे जलाओ
जब तक ना मर जाए जी
अब तो कर डालो देशद्रोह के
बंद, बुलंदी नारों को
अब सबको है हक आग लगा दो
इन अफजल के यारों को

कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह “आग”
9675426080

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