भीड़ में रहके भी अकेला हूँ मैं
  अकेले रहके भी खुश नही हूँ मैं
रुपये की ख़ुशी तो करोड़ो के गम
  जिंदगी कटतीही है चाहे कितने हो गम
  भीड़ में रहके भी अकेला हूँ मैं
ख़ुशी तो मानो टिकती ही नही
  गम तो जैसे पाल रहे है
  भीड़ में रहके भी अकेला हूँ मैं
जिंदगी तुझसे क्या माँगू और
  दिल का हाल क्या सुनाऊ और
  भीड़ में रहके भी अकेला हूँ मैं
वक्त बदलता है तो लगता है डर
  मायूसी को आगे देखता हूँ अक्सर
  भीड़ में रहके भी अकेला हूँ मैं
कहते है उम्मीद पे दुनिया कायम है
  सदियोसे यही सुनता आया हु मैं
  भीड़ में रहके भी अकेला हूँ मैं
आज नही तो कल होगा मेरा
  जिंदगी तू साथ देना मेरा
  करोड़ो के गमो को लड़ेंगे साथ
  यकीन है हमे रहेगा तेरा साथ
भीड़ की तनहाई से ऊब चुका हु मैं
  लड़ाई के लियें अब तैयार हूँ मैं
  लफ्ज नही आगे के कुछ लिख पाऊ
  तैयारी जो करनी है, बहोत कुछ सह पाऊ
  भीड़ में भी रहके अकेला हूँ मैं

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