मेट्रो में सवारी करने का मिला मौका l
  उसमे चल रहा था ठंडी हवा का झॉका l
  स्टेशन आया रुकी गाड़ी, डोर खुला l
  और तभी चढ़ी कुछ अबला नारी l
  तभी हो गयी मुझसे एक गलती भारी l
  एक नारी को महिला कहकर क्या बुलाया l
  उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया ll
बोली ………………………….
क्या मै तुम्हें महिला नजर आती हूँ l
  मेरी उम्र ही क्या है अभी तो मै l
  खुद एक बच्ची नज़र आती हूँ ll
मै बोला ………………………..
माफ़ करना महिला कहकर नहीं बुलाऊंगा l
  सबको अपने से कम उम्र का ही बताऊंगा ll
समय बिता………………………..
एक दिन फिर मेट्रो मै वो नज़र आई l
  मुझे महिला सीट पर बैठा देख पास आई l
  बोली माफ़ करना उठिए ये महिला सीट हैl
  मै बोला आज आप महिला कैसे हो गयी l
  उस दिन क्यों मुझ पर लाल-पीला हो गयीl
  वो बोली सीट का कमाल है मेरे भाई l
  यहाँ सीट के लिए महिला तो क्या l
  बुजुर्ग बनने मै भी नहीं है कोई बुराई ll
  तभी समझ गया गिरगिट है ये इंसान l
  कब रंग बदल ले नहीं कर सकते पहचान ll
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